फसल चक्र-


मटर को खरीफ की फसल काटने के बाद बोया जाता है । दाल वाली मटर के प्रमुख फसल चक्र नीचे दिये गये हैं

 ( 1 ) मक्का - मटर ( 2 ) धान — मटर ( 3 ) कपास — मटर ।
 ( 4 ) ज्वार — मटर ( 5 ) बाजरा - मटर ।

        मटर को चना , गेहूं , जौ आदि फसलों के साथ मिलाकर भी बोया जाता है । कभी - कभी जई और सरसों के साथ मिलाकर चारे के लिये भी बोया जाता है ताकि पौष्टिक हरा चारा प्राप्त हो सके । अक्टूबर में बोये गये गन्ने की दो कतारों के बीच में भी मटर की दो लाइनें बोयी जा सकती हैं । 

खेती की तैयारी-

              मटर की फसल प्रायः खरीफ की फसल काटने के बाद उसी खेत में बोई जाती है । अतः खरीफ की फसल काटने के बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करनी चाहिये । इसके बाद तीन - चार बार हैरो या देशी हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिये । प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाना आवश्यक होता है ताकि खेत समतल हो जाये क्योंकि मटर की फसल की खेती के लिये खेत का समतल होना आवश्यक है । 

         बीज और बुवाई -


1 . बोने का समय तथा बीज की मात्रा –

          परीक्षणों में देखा गया है कि मटर की पैदावार पर बुवाई के समय का गहरा प्रभाव पड़ता है । उचित समय पर मटर की बुवाई न करने पर उपज पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है । दाल वाली मटर ( Field pea ) को उत्तरी भारत के मैदानी भागों में बोने का उचित समय 15 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक है और यह 15 नवम्बर तक बो सकते हैं । इसके बाद बोने पर उपज में बराबर कमी आती जाती है । प्रति हैक्टर 75 से 100 किलोग्राम बीज बोना चाहिये । 

    सब्जी वाली मटर ( Table pea )    की उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में बोने का उचित समय अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह से नवम्बर के दूसरे सप्ताह तक है । सब्जी वाली मटर को जल्दी बो देने पर पौधों की वानस्पतिक वृद्धि बहुत कम होती है । कि वृद्धि बहुत कम होती है जिसके कारण प्रति पौधा फलियों की संख्या कम रहती है । इसके अतिरिक्त फसल को कीड़ों तथा रोगों से भी काफी हानि होती है । कम अवधि में तैयार होने वाली किस्मों जैसे — विवेक - 6 . आर्केल , अर्लीबैजर , असौज़ी आदि का एक हेक्टेयर में 100 से 125 किग्रा बीज बोना चाहिये और देर से तैयार होने वाली किस्मों जस बोनविले आदि का 75 - 80 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर बोना चाहिये ।

2 . बीज का उपचार-  

            मटर के बीज तथा जड़ में गलन रोग न लगने पाये । 5 ग्राम रसायन = बौज को बोने से पहले किसी फफंदनाशक दवा जैसे - थायराम या कैप्टान के 2 . 5 प्रति किलोग्राम बीज की दर से अवश्य उपचारित कर लेना चाहिये । एक पैकिट ( 65 राइजोबियम कल्चर से 10 किलो बीज की दर से उपचारित करके बोने से उप मिलती है । 

3 . बीज बोने की विधि तथा दुरी –

                मटर की बुवाई सीडड्रिल से या देशी हलके ना कतारी में बोये कतारों में करनी चाहिये । दाल वाली मटर को 30 सेमी की दूरी पर बनी कतारों में चाहिये । सब्जी वाली मटर की जल्दी तैयार होने वाली बौनी किस्में जैसे आर्केल अ # | जस आकल , अब आदि को 20 से 25 सेमी की दूरी पर तथा मध्यम और देर से तैयार होने वाली कि फ 30 - 40 सेमी की दूरी पर बनी कतारों में बोना चाहिये । बीज को 4 - 5 सेन्टीमीटर की गह बोना चाहिये । बीजों की आपस की दूरी 5 - 7 सेमी० रखनी चाहिये ।


खाद तथा उर्वरक, सिंचाई एवं जल निकास, खरपतवार नियन्त्रण, रोग नियन्त्रण  ... Reading