वर्मी कम्पोस्ट
(Vermi - Compost )

     
Vermi compost

  वर्मी - कम्पोस्ट को Vermiculture या Earthworm rearing ( केंचुआ पालन ) भी कहा जाता है . गोबर , सूखे एवं हरे पत्ते , घासफूस , धान का पुआल , मक्का / बाजरा की कडवी , खेतों के अवशेष ( Wastes ) , डेयरी / कुक्कुट वेस्ट , सिटी गरवेज इत्यादि खाकर केंचुओं द्वारा प्राप्त मल ( Casts ) से तैयार खाद ही वर्मी कम्पोस्ट कहलाती है . यह हर प्रकार के पेड़ - पौधों , फल वृक्षों , सब्जियों , फसलों के लिए पूर्णरूप से प्राकृतिक , सम्पूर्ण व संतुलित आहार ( पोषण खाद ) है . इससे बेरोजगार युवकों , गृहणियों एवं भावी - पीढी को रोजगार के अवसर प्रदा ही पर्यावरण प्रदूषण ( Pollution ) की भी समस्या कुछ हद तक सुलझ सकती है . केंचुए का मल ( Vermi - cast ) तथा वी वाश ( Wermi - wash ) भी उपयोगी है . वर्मी - वाश में 7 गुना पानी मिलाकर फसलों में छिड़काव उपयोगी रहता है और गौ - म मिलाकर 10 गुने पानी से छिड़कें .


वर्मी कम्पोस्ट / वर्मी - कल्चर - मुख्य बिन्दु


  • Vermi - compost - केंचुओं द्वारा घर / फार्म के Wastes को खाकर निकलने वाला मल ( Casts ) एवं वर्मी - वाश।
  • फसलों , सब्जियों , फल वृक्षों के लिए पोषण - संतुलित खाद। 
  • केंचुए - किसान का मित्र , प्रकृति का हलवाहा , पृथ्वी की आँत , मदा उर्वरता का बैरोमीटर।
  •  भूमि में N . P , K , Ca , Mg तत्वों का बढ़ाना ( भूमि उर्वर करना ) व C . E . C . एवं Structure में सुधार


केंचुए की महत्ता ( Importance of Earthworm )


  • प्रकृति का हलवाहा ( Nature ' s ploughman )
  • Intestines of the earth - अरस्तू ( Aristotle )
  • नील घाटी की भूमि को उर्वर ( Fertile ) करने में केंचुआ को State Secret की संज्ञा दी - An Ancient Egyptians
  • Barometer of soil fertility - Charles Darw in
  • बगैर केंचुए के पृथ्वी की वनस्पति लुप्त ( Vanish ) हो सकती है .
  • किसानों का सच्चा मित्र .
  • केंचुआ की बीट ( मल ) फास्फोरस ( P ) का प्रमुख स्रोत जिसे बैया पक्षी अपने घोंसले में ले जाकर दीपक के रूप में रात्रि में चमक प्रयोग करता है . जैसे - हवाई जहाज का भी रात्रि में टमकना


वर्मी कम्पोस्ट :

तैयार करने की विधि ( Method of preparation ) -

             फार्म व घरों के कूड़ा - करकट ( मक्का / बाजरा के डंठल , ढूँठ व सूखी पत्तियाँ ) एवं खरपतवारों को एकत्रित करके किसी चबूतरे पर या गडढे में या 3 ' x 1 x 1 घनमीटर आकार की क्यारियों में पतं लगाकर अंधेरे या छवे में डाल देते हैं जिसमें केंचुए के स्पान ( Spawn ) जो पेकेट के रूप में उपलब्ध होते हैं , छोड़ दिए जाते हैं . ये वृद्धि करके इन अवयवों को खाकर मिट्टी के रूप में By - pro duct / excreta ( मल - उर्वर मिट्टी ) बनाते हैं जिसे Vermi - compost कहा जाता है . ये लगभग डेढ़ माह के अन्दर खाद बना देते हैं . उपर्युक्त आकार की क्यारी ( bed ) से 3 - 5 कुं वर्मी कम्पोस्ट प्राप्त हो जाएगी , जिसमें N , P , K अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं . ऐसी तैयार खाद को खेतों में डालना लाभप्रद है . लाल रंग के केंचुए ( एसीनिया फटीडा ) अच्छी एवं शीघ्र खाद बनाते हैं जो एपीजैइक होते हैं .

वर्मी कम्पोस्ट का संगठन ( Composition ) -

1.2 - 1 . 6 % N, 1.8 - 2.0 % P, 0.5 - 0.75 % K मुख्यतया , अर्थात FYM से कई गुनी तत्वों में . डॉ . सुल्तान अहमद स्माइल SIRSBB चेन्नई के अनुसार ,
O.C . ( OrganicCarbon ) = 9.15 - 17.98 % , Total N = 0.5-1.5 %,  P = 0.1 - 0.3 % , K = 0.15 - 0.56 % . Na = 0.06 - 0.3 % , Ca & Mg = 22 - 70 milli equivalent / 100 ग्राम , Cu & Fe = 2-9.5 ppm . Zn = 5.7 - 11.5ppm , एवं S = 128 - 548ppm .


लाभ ( Advantages ) :

            1 . मृदा को -


  1.  केंचुए के द्वारा भूमि की उर्वरता , pH , भौतिक दशा , जैविक पदार्थ , लाभदायक जीवाणुओं में वृद्धि / एवं सुधार ,
  2. भूमि की जल सोखने की क्षमता , प्राप्य नमी , Infiltration rate में वृद्धि एवं Soil structure व Aggregation में सुधार ,
  3. केंचुए की Casts ( मल ) से 2 - 30 टन प्रति एकड़ प्रतिवर्ष जमाव का होना अर्थात् 10 वर्ष में 2 " मिट्टी पर ऐसे मल की पर्त जम जाना .
  4. केंचुए की Casts में भूमि में 4 - 5 गुनी N , 1 . 4 गुनी विनिमय Na , 3 गुनी विनिमय Mg , 7 . 2 गुनी सुलभ P एवं 11 गुनी सुलभ K बढ़ जाती है . 
  5. Cation Exchange Capacity ( CEC ) का बढ़ना ,
  6. खरपतवारों की कमी ,
  7.  सिंचाई की बचत ,
  8. फसलों में बीमारी / कीड़ों का कम लगना .


फसलों को - 


         जहाँ केंचुए पाले गए वहाँ मटर व जई में 70 % , घासों में 28 - 110 % , सेब में 25 % , बीन्स में 291 % , गेहूँ में 300 % की उत्पादन वृद्धि मिली है एवं फसल उत्पाद की भंडारण क्षमता / सुरक्षित गुणवत्ता में सुधार हुआ है .

“Rich in manure , rich in fruit ."
"No fodder , no cattle ; no manure , no crop."

चेतावनी ( Warning ) -

( i ) वर्मी कम्पोस्ट से अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए वर्मी कम्पोस्ट को पौधों में डालने के बाद पत्तों आदि से अवश्य ढक दें ( Mulching ) ,
( ii ) वर्मी कम्पोस्ट के साथ रसायन उर्वरक कीटनाशी , फफूंदनाशी , खरपतवारनाशी का प्रयोग नहीं करें .


वर्मी कम्पोस्ट की मात्रा ( Quantity of Vermi -  

Compost ) भूमि में प्रथम वर्ष - 5 टन प्रति हेक्टयर , दूसरे वर्ष - 2 . 5 टन एवं तीसरे वर्ष - 1 . 25 टन प्रति हेक्टेयर वर्मी कम्पोस्ट डालें . गमलों में फूलों के लिए 150 - 300 ग्राम प्रति गमला / पौधा डालें ।

नोट - 

वर्मी कम्पोस्ट की ट्रेनिंग एवं स्पान ( केंचुए के कोकून ) की उपलब्धता स्नोव्यू मशरूम लैब एण्ड ट्रेनिंग सेंटर 3 गांधी आश्रम नरेला , दिल्ली , राज्य कृषि वि . वि . ( SAU ' s ) , कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा नैफेड ( NAFED ) से प्राप्त की जा सकती है . वर्मी कम्पोस्ट तकनीक को डॉ . सुल्तान अहमद स्माइल ने IRSBB चेन्नई में विकसित किया था .